“पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे” भजन के पूर्ण लिरिक्स, MP3 Download, और PDF फॉर्मेट में प्राप्त करें! अब आप इस भजन को कहीं भी, कभी भी अपने साथ रख सकते हैं और भगवान के प्रति अपनी भक्ति को गहरा कर सकते हैं। इस भजन के बोल न केवल दिल को छूने वाले हैं, बल्कि आपके जीवन में शांति और सुख भी ला सकते हैं। तो देर किस बात की? आज ही डाउनलोड करें और भगवान की शरण में समर्पण का अनुभव करें!
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे, भोले तेरे दर्शन को आई रे लिरिक्स
मैं तो जल भर कलशा लाई रे
झाडो में उलझती आई रे
सांप बिच्छू ने ऐसी डराई रे, मेरी गगरी झलकती आई रे
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे, भोले तेरे दर्शन को आई रे…….
मैं तो चंदन केसर लाई रे
शमशानों को देख घबराई रे
भूत प्रेतों से ऐसी डराई रे, मेरी केसर बिखरती आई रे
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे, भोले तेरे दर्शन को आई रे…..
मैं तो भंगिया घोट कर लाई रे
द्वारे नंदी को बैठे पाई रे
नंदी ने मोहे समझाइ रे, भोले ने समाधि लगाई रे
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे, भोले तेरे दर्शन को आए रे……
मैं तो हार गुथ कर लाई रे
शिव जी के गले पहनाई रे
भोले ने पलके उठाई रे, शिव गौरा के दर्शन पाई रे
पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे, भोले तेरे दर्शन को आई रे……
Parvat Ki Unchi Chadhai Re Lyrics
Parvat Ki Unchi Chadhai Re, Bhole Tere Darshan Ko Aai Re……
Main To Jal Bhar Kalashaa Layi Re
Jhado Mein Ulajhati Aayi Re
Saanp Bichchhu Ne Aisi Darai Re, Meri Gagri Jhalakati Aayi Re
Parvat Ki Unchi Chadhai Re, Bhole Tere Darshan Ko Aai Re……
Main To Chandan Kesar Layi Re
Shamashaanon Ko Dekh Ghabrai Re
Bhut Preton Se Aisi Darai Re, Meri Kesar Bikharti Aayi Re
Parvat Ki Unchi Chadhai Re, Bhole Tere Darshan Ko Aai Re……
Main To Bhangiya Ghot Kar Layi Re
Dware Nandi Ko Baithe Payi Re
Nandi Ne Mohe Samajhai Re, Bhole Ne Samadhi Lagai Re
Parvat Ki Unchi Chadhai Re, Bhole Tere Darshan Ko Aai Re……
Main To Haar Guth Kar Layi Re
Shiv Ji Ke Gale Pahanai Re
Bhole Ne Palake Uthai Re, Shiv Gowra Ke Darshan Payi Re
Parvat Ki Unchi Chadhai Re, Bhole Tere Darshan Ko Aai Re
“पर्वत की ऊंची चढ़ाई रे, भोले तेरे दर्शन को आई रे” भक्ति संगीत का एक ऐसा भजन है, जो शिवभक्तों के समर्पण और उनकी अडिग आस्था का प्रतीक है। यह भजन भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है और उनके प्रति भक्तों की अनवरत श्रद्धा को व्यक्त करता है। इसकी पंक्तियां न केवल भक्तिमय हैं, बल्कि जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचने की प्रेरणा भी देती हैं।
भजन की शुरुआत भक्तों द्वारा पर्वत की ऊंची चढ़ाई करने की बात से होती है, जो शिवधाम की ओर कठिन यात्रा का प्रतीक है। यह केवल एक भौतिक चढ़ाई नहीं है, बल्कि भक्त के भीतर की आध्यात्मिक यात्रा का भी संकेत है। भगवान शिव, जिन्हें “भोलेनाथ” कहा जाता है, अपने भक्तों के लिए इतने सरल और सुलभ हैं कि उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त हर कठिनाई सहने को तैयार रहते हैं।
इस भजन की विशेषता इसकी पंक्तियों में छिपा हुआ भक्ति भाव है। जैसे-जैसे भक्त “पर्वत की ऊंची चढ़ाई” की बात करते हैं, वे यह भी कहते हैं कि “भोले तेरे दर्शन को आई रे।” यह बताता है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों, भगवान शिव के प्रति प्रेम और भक्ति हर बाधा को पार करने की शक्ति देती है। शिवभक्त अपने भोले बाबा के जलाभिषेक के लिए कांवड़ में पवित्र जल लाने और बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करने की तैयारी करते हैं।
इस भजन का एक और रोचक पहलू यह है कि इसे गाते हुए भक्त “ओम् नमः शिवाय” और “हर हर महादेव” जैसे शिव मंत्रों का उच्चारण करते हैं, जिससे माहौल पूरी तरह से आध्यात्मिक हो जाता है। यह भजन उन भक्तों की भावना को भी उजागर करता है, जो अमरनाथ, केदारनाथ, या अन्य शिवधामों की कठिन यात्राओं पर जाते हैं।
एक दिलचस्प जानकारी यह है कि “पर्वत की ऊंची चढ़ाई” केवल शारीरिक कठिनाइयों का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह जीवन के संघर्षों में भी शिव की कृपा से सफलता प्राप्त करने का संदेश देता है। यह भजन यह सिखाता है कि जीवन की हर समस्या को भगवान के प्रति भक्ति और विश्वास के साथ हल किया जा सकता है। जब भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, तो वे अपनी समर्पण भावना के साथ यह महसूस करते हैं कि उनके सारे कष्ट भोलेनाथ ने हर लिए हैं।
यह भजन न केवल पूजा और आराधना के दौरान गाया जाता है, बल्कि यात्राओं के दौरान भी भक्त इसे गाकर ऊर्जा और उत्साह प्राप्त करते हैं। इसका संगीत और बोल इतने प्रेरणादायक हैं कि यह किसी भी धार्मिक माहौल को और भी पवित्र बना देता है। भगवान शिव की कृपा और उनके प्रति भक्तों के अटूट प्रेम को प्रकट करता यह भजन हर शिवभक्त के दिल को छू जाता है।
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